LED kya hai ? LED के 10 फायदे और नुकसान

हेलो दोस्तों क्या आपको मालूम है कि led kya hai यह कैसे काम करता है, एलईडी कितने प्रकार के होते हैं एलईडी को दुनिया में पहली बार कब लाया गया, एलईडी किस मैटेरियल से बनाया जाता है, एलइडी के क्या उपयोग हैं और एलईडी से क्या फायदे और नुकसान होते हैं इन सभी सवालों के जवाब अगर आप जानते हैं तो बहुत अच्छी बात है

अगर आप नहीं जानते तो बिल्कुल भी घबराने की बात नहीं है क्योंकि आज हम इस आर्टिकल में led kya hai मे कैसे काम करता है, एलईडी से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने वाले हैं जिससे आप लोग भी इस आधुनिक अविष्कार के विषय में जान सकें तो चलिए बिना समय को बर्बाद किए हुए यह जानते हैं कि led kya hai

LED kya hai

 

led kya hai – What is LED

LED एक प्रकार का अर्धचालक semiconductor device उपकरण होता है यह विद्युत के प्रवाह होने पर प्रकाश का उत्सर्जन करता है एलईडी को हम हिंदी में प्रकाश उत्सर्जक डायोड कहते हैं एलईडी को इंग्लिश में light emitting device (लाइट एमिटिंग डिवाइस) होता है इसका आविष्कार अभी कुछ सालों पहले ही किया गया है घरों में इस्तेमाल होने वाले कुछ उपकरणों में आप इसे देख सकते हैं इसका उपयोग कई सामानों में जैसे डिजिटल घड़ी, मोबाइल डिस्प्ले, टीवी स्क्रीन, होम अप लाइंस, कार की स्क्रीन, मल्टीमीडिया, घर में उपयोग होने वाले बल्ब आदि में होता है।

एलईडी बहुत ही छोटे आकार के होते हैं और बहुत ही कम बिजली का उपयोग करके प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं इनका उपयोग करने से बिजली की काफी बचत होती है एलईडी को active semiconductor MLM की श्रेणी में रखा जाता है इसकी तुलना आप साधारण डायोड के साथ भी कर सकते हैं लेकिन इन दोनों में अंतर बस इतना होता है कि दोनों की प्रकाश उत्सर्जन करने की क्षमता और उनका रंग अलग अलग होता है।

एलईडी में टर्मिनल होते हैं जिसे cathode और anode भी कहा जाता है जब इनमें किसी वोल्टेज सोर्स बिजली से जोड़ा जाता है तब यह अलग-अलग रंगों की रोशनी को पैदा करता है इसकी रोशनी पैदा करने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि एलईडी में किस प्रकार की semiconductor substance का उपयोग किया जा रहा है

एलईडी के जलने पर जो प्रकाश उत्पन्न होता है वह प्रकाश Monochromatic होता है उत्पन्न होने वाले प्रकाश का वेवलेंथ सिंगल होता है इस प्रकार से एलईडी विद्युत ऊर्जा को प्रकाश मे बदलने का काम करती है इसकी यही विशेषता है कि इसको किसी भी प्लास्टिक फिल्म में लगाया जा सकता है।

एलईडी परंपरागत तौरपर उपयोग की जाने वाली प्रकाश उत्सर्जन तंत्र तुलना में बहुत कम विद्युत ऊर्जा का उपयोग करता है इसके अलावा इसका जीवन काल लंबा उन्नत और आकार में काफी छोटा होता है पर इसको बनाना काफी महंगा होता है एक साधारण बल्ब ज्यादा से ज्यादा 1000 घंटे तक प्रकाश दे सकता है वही एलईडी 1 लाख घंटे तक प्रकाश देने में सक्षम होता है।

एलईडी से पैदा होने वाली रोशनी ज्यादा ब्राइट नहीं होती है इसकी वेबफॉर्म की दूरी समानांतर रहती है एक एलईडी के जलने पर ब्राइट लाइट पैदा होती है किसी भी एलईडी की एक आउटपुट रेंज होती है जैसे रेड वेब लेंथ लगभग 700 नैनोमीटर से नीली बैगनी की 400 नैनोमीटर तक होती है कुछ एलईडी Infrared एनर्जी पैदा करने में सक्षम होती है इस प्रकार के एलईडी को Iredinfra emitting (आईरेड इंफ्रा इमिटिंग) डायोड कहते हैं।

LED Ka Full Form / एलईडी का फुल फॉर्म

LED को प्रकाश उत्सर्जक डायोड कहते हैं जिसका अंग्रेजी में फुल फॉर्म light emitting diode होता है एलईडी आजकल मोबाइल, टीवी डिस्प्ले एवं अन्य लाइट आधार डिवाइस बनाने में बहुत अधिक से उपयोग किया जाता है।

एलइडी कितने प्रकार की होती है एलईडी के प्रकार / Type of LED

LED को बाजार में सभी उपयोग के लिए अलग-अलग आकार और तरंग धैर्य में उपलब्ध है लेकिन इलेक्ट्रिकल प्रॉपर्टीज एवं सेमीकंडक्टर के आधार पर एलईडी को कुछ प्रकारों में बांटा गया है जो नीचे दिए गए हैं –

  • लघु एलईडी small LED
  • प्रकाश एलईडी light LED
  • आरजीबी एलइडी RGB LED
  • फ्लैश एलइडी flash LED
  • हाई पावर एलईडी high power LED
  • अल्फान्यूमैरिक एलइडी Alphanumeric LED

एलईडी कैसे काम करता है

किसी भी एलईडी में दो तरह के अर्धचालक semiconductor, light source का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे पीएन जंक्शन डायोड भी कहते हैं दोनों जंक्शन को वोल्टेज सोर्स दिया जाता है तब यह प्रकाश को पैदा करते हैं

इसलिए हर प्रकार के एलईडी उर्जा को प्रोटोन के रूप में पैदा करते हैं इस इफ़ेक्ट को electroluminescence effect कहते हैं फोटोन के रूप में निकलने वाली प्रकाश का कलर इस बात पर निर्भर करता है कि अर्धचालक के बीच कितना एनर्जी बैंड गैप है।

एलईडी को बनाने के लिए जिस प्रकार के पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है वह एक तरीके का अर्धचालक ही होता है जिसके मेन द्वार aluminium gallium arsenides होती है इस पदार्थ के एटम अपने दूसरे आइटम के साथ बहुत ही स्ट्रांगली बांडेड होते हैं जिसके कारण फ्री इलेक्ट्रोंस के नहीं होने से इलेक्ट्रिसिटी की कंडक्शन ना के ही बराबर होता है।

इनमें कई अशुद्ध पदार्थ को भी मिलाया जाता है जिसे डोपिंग कहा जाता है जिसके कारण इनमें कुछ एक्स्ट्रा एटम्स आ जाता है और मूल पदार्थ का संतुलन बिगड़ जाता है फ्री इलेक्ट्रॉनस के कारण इलेक्ट्रॉन N जंक्शन से P जंक्शन की तरफ आगे बढ़ने लगता है।

LED पूरी तरह से क्वांटम थ्योरी पर आधारित है जो इलेक्ट्रॉन High एनर्जी लेवल से Low एनर्जी लेवल में जाती है तो प्रकाश प्रोटोन के रूप में पैदा होता है प्रोटोन एनर्जी दोनों ऊर्जा के बीच में अंतर को बराबर रखती है अगर पी एन जंक्शन डायोड फारवर्ड बेस्ड होता है तब विद्युत का प्रवाह डायोड से होता है।

विद्युत का प्रवाह सेमीकंडक्टर पर मौजूद होल P और N विद्युत के प्रवाह के उल्टा होता है जिसके साथ इलेक्ट्रॉन की दिशा इलेक्ट्रिसिटी डायरेक्शन की तरफ होता है इसके कारण चार्ज करियर प्रवाह से रिकांबिनेशन होता है

रिकांबिनेशन इस बात को स्पष्ट करता है कि कंडक्शन बैंड पर स्थित इलेक्ट्रॉन Jump करके वैलेंस बैंड पर चले जाते हैं जब इलेक्ट्रॉन एक बैंड से दूसरे बैंड पर Jump करते हैं तो इलेक्ट्रॉन के रूप में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी पैदा करते हैं जोकि प्रोटोन के रूप में होता है यह इसी प्रकार काम करते हैं।

एलईडी का इतिहास

एलईडी को सन 1907 में सबसे पहली बार  दुनिया में लाया गया जब ब्रिटिश साइंटिस्ट H.J.Round के द्वारा मारकोनी लैब में electroluminescence की डिस्कवरी हुई। इसके बाद सन 1961 में Texas Instruments मैं Gary Pittman और Robert Biard एक्सपेरिमेंट कर रहे थे तब उन्होंने देखा कि गैलियम आर्सेनाइड इलेक्ट्रिकल करंट के संपर्क में आने पर Infrared रेडिएशन उत्पन्न करता है तब उन्होंने इसे इन फॉरेन एलईडी के नाम से पैटर्न बना दिया।

इसके बाद सन् 1962 में सबसे पहली बार विजिबल लाइट एलईडी रेड डेवलप किया गया जिसे Nick Holonyak Jr. के द्वारा जब वो General Electric में काम कर रहे थे बनाया गया इसलिए Nick Holonyak Jr. को “father of the light-emitting diode” भी माना जाता है।

फिर इसके बाद सन 1972 में Nick Holonyak Jr.के student M.George Craford के द्वारा yellow एलईडी को बनाया गया और उन्होंने रेड एंड रेड ऑरेंज एलईडी के लाइट आउटपुट को 10 फैक्टर मे बढ़ा दिया जो की उस समय में बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

Main LED मटेरियल क्या है

एलईडी को मैन्युफैक्चर करने के लिए main semiconductor मटेरियल इस्तेमाल किया जाता है वह निम्न है

  1. ब्लू ग्रीन और अल्ट्रावायलेट हाई ब्राइटनेस एलईडी बनाने के लिए इंडियम गैलियम नाइटराइड (InGan) का उपयोग किया जाता है।
  2. यलो ऑरेंज और रेट हाई ब्राइटनेस एलईडी बनाने के लिए एलुमिनियम गैलियम इंडियम फास्फेड (AlGainP) का उपयोग किया जाता है।
  3. रेड और इनफ्रारेड एलईडी बनाने के लिए एलुमिनियम गैलियम और आर्सेनाइड (AlGaAs) का उपयोग किया जाता है।
  4. यलो और ग्रीन एलइडी बनाने के लिए गैलियम फास्फाइड(GaP) का उपयोग किया जाता है।

एलईडी के फायदे और नुकसान

LED ke advantage / एलईडी के फायदे

  • एलईडी बहुत लंबे समय तक चलते हैं यह बहुत जल्दी खराब नहीं होते हैं उनकी जीवन अवधि 1000 घंटे से 4000 घंटे से भी बहुत अधिक होती है LED को हम 20 सालों से भी ज्यादा दिनों तक इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • एलइडी को जलने में बहुत कम बिजली की आवश्यकता होती है जिसके कारण बिजली का बिल बहुत कम आता है।
  • एलईडी में किसी भी प्रकार का कोई विषैला हानिकारक पदार्थ नहीं होता है यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित रहता है।
  • एलईडी के जलने पर निकलने वाली रोशनी में अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन ना के बराबर होता है।
  • एलईडी की रोशनी को आप अपने हिसाब से घटा या बढ़ा सकते हैं।
  • एलईडी हर तापमान और मौसम में बहुत बढ़िया काम करते हैं यह इतना जल्दी खराब नहीं होते।
  • एलइडी को बंद या चालू तुरंत कर सकते हैं एलईडी को बार-बार ऑन ऑफ करने से भी इसके जीवन काल में कोई ज्यादा अंतर नहीं पड़ता।
  • एलईडी कम वोल्टेज मैं भी बेहतर ढंग से काम करते हैं उनका आकर बहुत ही छोटा होता है जिसके चलते उनका इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।
  • इनका इस्तेमाल घरों और उद्योगों में बल्ब के रूप में किया जाता है इसके अलावा मोटरसाइकिल और कारों में भी किया जाता है।
  • एलईडी से मोबाइल फोन स्क्रीन, टेलीविजन स्क्रीन में बनाने के लिए भी किया जाता है।

एलईडी के नुकसान LED ke disadvantage

  • LED मे अगर थोड़ा भी अधिक वोल्टेज या करंट का इस्तेमाल किया जाता है तो यह जल्दी ही खराब हो जाती है।
  • एलइडी में लेजर के कंपेयर में बहुत ज्यादा वाइडर बैंडविथ होता है।
  • एलईडी का टेंपरेचर इसी बात पर निर्भर करता है की रेडिएंट आउटपुट पावर और वेब लेंथ कितना है।
  • एलईडी लाइट का प्रकाश नॉर्मल बल्ब की अपेक्षा आंखों पर ज्यादा असर करती है।
  • एलईडी DC सप्लाई पर ही काम करती है AC पर ऑपरेट करने के लिए रेडीएक्टर का उपयोग किया जाता है।
  • एलईडी की भी सबसे बड़ी कमी यही है कि यह Low वोल्टेज पर काम करता है High वोल्टेज के लिए एक एलईडी को डिजाइन नहीं किया जा सकता लेकिन बहुत सारे एलईडी को एक साथ जोड़ कर एक बड़ी लाइट बनाई जा सकती है।

एलईडी के उपयोग

एलईडी का मुख्य उपयोग प्रकाश के रूप में किया जाता है एलईडी को कई जगहों जैसे घर के बल्ब उपकरणों में संकेत वाहनों आदि में किया जाता है एलईडी का उपयोग रिमोट कंट्रोल में अलग-अलग तरंग दैर्ध्य की तरंगे पैदा करने के लिए भी किया जाता है एलईडी के कुछ मुख्य उपयोग नीचे बताए गए हैं-

  • अलग-अलग तरह के डिस्प्ले बनाने में जैसे मोबाइल डिस्प्ले, टीवी डिस्पले, मॉनिटर डिस्पले, लैपटॉप डिस्पले आदि।
  • अलार्म सेंसर और सिक्योरिटी डिवाइस बनाने में।
  • ऑटोमोबाइल कंपनियों में।
  • सिग्नल डिस्पले स्क्रीन बनाने में जैसे ट्रैफिक सिग्नल, स्क्रीन नोटिफिकेशन डिस्प्ले, स्क्रीन फोटो फ्रेमिंग डिस्प्ले स्क्रीन आदि।
  • एलईडी की हाई स्विचिंग विशेषताओं के चलते इसका उपयोग उन्नत कम्युनिकेशन सिस्टम बनाने में भी किया जाता है।

अंत में –

दोस्तों मुझे उम्मीद है की यह पोस्ट led kya hai यह कैसे काम करता है एलईडी कितने प्रकार के होते हैं एलईडी कैसे बनता है एलईडी के क्या उपयोग है एलईडी के फायदे एवं नुकसान इन सभी के बारे में विस्तार से बताया गया है जिसको पढ़ करके आप अच्छी तरह से जान गए होंगे और यह जानकारी आपके बहुत काम आई होगी और कुछ नया जानने को मिला होगा एलईडी के बारे में सभी जानकारी आपको इस पोस्ट में दे दी गई है जिससे आप दूसरी जगह ना खोजें अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और कमेंट करके जरूर बताएं।

धन्यवाद!

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