Doodh Ganga Yojana | दूध गंगा योजना – शुरू करे डेयरी फ़ार्मिंग बिजनेस, सरकार देगी 24 लाख तक का लोन

पशुपालन के क्षेत्र में भारत में इसका व्यवसाय बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है लोग अपनी अधिक आमदनी वाली नौकरी को छोड़कर इस व्यवसाय को अपना रहे हैं अगर आप हिमाचल प्रदेश मे निवास कर रहे हैं तो आप इस Doodh Ganga Yojana का लाभ ले सकते हैं जिसमें डेयरी फार्मिंग और इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी दी जा रही है।

Doodh Ganga Yojana

डेयरी फार्मिंग का ग्रामीणों और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करने में अहम भूमिका है इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है कि भारत में इस व्यवसाय का बहुत तेजी के साथ विकास हो रहा है और इसका कारण यह है कि यह राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही सरकारी योजना है ऐसे ही एक योजना का नाम है दूध गंगा योजना – शुरू करे डेयरी फ़ार्मिंग बिजनेस, सरकार देगी 24 लाख तक का लोन जो हिमाचल प्रदेश मे चलाई जा रही है जिसका लाभ यहां के नागरिक पशुपालन के क्षेत्र में उठा रहे हैं इस योजना के तहत डेयरी फार्मिंग के अलावा अन्य कई क्षेत्रों में इससे संबंधित सब्सिडी दी जा रही है जिसका फायदा किसान बेझिझक ले सकते हैं।

Doodh Ganga Yojana

यह योजना भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा डेयरी उद्यम पूंजी योजना के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से शुरू किया गया था इस योजना के अंतर्गत डेयरी फार्मिंग में लगे हुए सूक्ष्म उद्योगों को संगठित डेयरी व्यवसाय उद्यमों में परिवर्तन करना है।

हिमाचल प्रदेश में डेयरी फार्मिंग पर सब्सिडी (Subsidy on dairy farming)

  1. 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख का लोन दिया जाता है।
  2. 5 से 20 बछडियो को पालने के लिए 4.80 लाख रुपए का लोन दिया जाता है।
  3. वर्मी कंपोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुड़ा हो) के लिए 0.20 लाखों रुपए का लोन दिया जाता है।
  4. दूध दोहने की मशीन / मिल्कोटेस्टर / बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक के लिए) 18 लाख रुपए का लोन दिया जाता है।
  5. दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों को स्थापित करने के लिए 12 लाख  रुपए का लोन प्रदान किया जाता है।
  6. दूध उत्पादों की ढुलाई तथा कोल्ड चैन सुविधा के लिए 24 लाख का लोन दिया जाता है।
  7. दूध व दूध से बने उत्पादों को कोल्ड स्टोरेज के लिए 30 लाख का लोन दिया जाता है।
  8. निजी पशु चिकित्सा के लिए मोबाइल और स्थाई इकाई पर 2.40 और 1.80 लाख रुपए का लोन दिया जाता है।
  9. दूध उत्पादों को बेचने के लिए बूथ स्थापना के लिए 0.56 लाख रुपए का लोन दिया जाता है।

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दूध गंगा योजना का उद्देश्य (Purpose of Doodh Ganga Yojana)

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि डेयरी फार्म में लगे हुए सूक्ष्म उद्यमों को सफल डेयरी उद्यमों में बदलना है और इसके साथ ही 10,000 रुपया स्वयं सहायता समूह (SHG) के माध्यम 50,000 ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए दिया जाता है।

इस योजना के अंतर्गत गांव में रहने वाले लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए लोगों को बड़े पैमाने पर डेयरी उत्पादों और उससे संबंधित बने हुए उत्पादों को खुदरा बिक्री करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

दूध गंगा योजना के अंतर्गत राज्य में 350 लाख लीटर दूध उत्पादन का लक्ष्य प्रतिवर्ष रखा गया है।

Doodh Ganga Yojana

50% तक कोई ब्याज नहीं

इस योजना के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह को 10 पशुओं के डेयरी फार्म को चलाने के लिए 3 लाख  का लोन प्रदान किया जाता है जिसमें 50% लोन ब्याज मुक्त होता है

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दूध उत्पादों के निर्माण के लिए लोन ( Loan for manufacture of milk products )

इस योजना के अंतर्गत दुग्ध उत्पादन के लिए मशीन और कूलर लगाने के लिए 15 लाख रुपए का लोन देने का प्रावधान रखा है आसान शब्दों में कहें तो इस योजना में डेरी उत्पादों के निर्माण के लिए 15 लाख रुपए तक का लोन प्रदान किया जाता है।

डेयरी उत्पादों के परिवहन के लिए भी 25 लाख रुपए का लोन दिया जाता है।

मत्स्य पालन और पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार हिमाचल प्रदेश में डेयरी फार्म का आधुनिकीकरण करने के लिए राज्य में डेयरी फार्म और प्रशिक्षण के लिए एक केंद्र की स्थापना की जाएगी।

मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य में कई स्थानों पर आधुनिक डेयरी फार्म और प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी है और इस केंद्र के अंतर्गत बनने वाले डेयरी फार्म में आधुनिक मशीनों के साथ साथ 400 दुधारू पशुओं को रखने की सुविधा होगी।

उन्होंने कहा कि इन फार्मो में रखे जाने वाले पशु चिकित्सा अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे वे पशुपालन में किसानों की सहायता कर सकें।

पशु प्रबंधन सहायता (Animal management support)

इस योजना में वैज्ञानिक पशु प्रबंधन के अंतर्गत पशु चिकित्सा देखभाल जैसे सभी पहलुओं को शामिल किया गया है इस योजना के अंतर्गत दूध उत्पादों के संग्रहण संरक्षण प्रसंस्करण और ग्रामीण विपणन नेटवर्क की स्थापना करने के लिए सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।

पशुपालन विभाग के द्वारा राज्य के अंदर और बाहर से दुधारू पशुओं की उपयुक्त नस्लें को खरीदने के लिए लाभार्थियों की सहायता करती है वीरेंद्र कंवर ने कहा कि नस्लें सुधार के अलावा किसानों को आधुनिक डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे किसान वैज्ञानिक आधार पर पशुओं की देखभाल और प्रबंधन कर सके।

उन्होंने कहा कि फार्मों के बनने से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और पशुधन और दूध की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद मिलेगी आधुनिक तकनीक की सहायता से पशुओं में गर्भाधान तकनीक में सुधार किया जाएगा और यह पशुओं के बीच होने वाली बीमारियों को रोकने में भी मदद करेगा।

दूध गंगा योजना का लाभ कैसे उठाएं

अगर आप इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं और अपने डेरी फार्मिंग का विकास करना चाहते हैं तो आप हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक पशुपालन वेबसाइट http://hpagrisnet.gov.in/hpagris/Fisheries/Default पर जाकर इस योजना के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं।

दूध गंगा योजना क्या है ?

दूध गंगा योजना भारत सरकार के पशुपालन विभाग द्वारा डेयरी उद्यम पूंजी योजना के रूप में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से शुरू किया गया था। इसके तहत सरकार द्वारा 5 लाख से 24-25 लाख रुपए लोन देने का प्रावधान है।

दूध गंगा परियोजनाएँ ?

1. 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख का लोन ।
2. 5 से 20 बछडियो को पालने के लिए 4.80 लाख रुपए का लोन।
3. वर्मी कंपोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुड़ा हो) के लिए 0.20 लाखों रुपए का लोन।
4. दूध दोहने की मशीन / मिल्कोटेस्टर / बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक के लिए) 18 लाख रुपए का लोन।
5. दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों को स्थापित करने के लिए 12 लाख  रुपए का लोन।
6. दूध उत्पादों की ढुलाई तथा कोल्ड चैन सुविधा के लिए 24 लाख का लोन।
7. दूध व दूध से बने उत्पादों को कोल्ड स्टोरेज के लिए 30 लाख का लोन।
8. निजी पशु चिकित्सा के लिए मोबाइल और स्थाई इकाई पर 2.40 और 1.80 लाख रुपए का लोन।
9. दूध उत्पादों को बेचने के लिए बूथ स्थापना के लिए 0.56 लाख रुपए का लोन।

दूध गंगा योजना का उद्देश्य क्या है?

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि डेयरी फार्म में लगे हुए सूक्ष्म उद्यमों को सफल डेयरी उद्यमों में बदलना है और इसके साथ ही 10,000 रुपया स्वयं सहायता समूह (SHG) के माध्यम 50,000 ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए दिया जाता है।

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